Samaik ke Dos

सामायिक की साधना हम प्रारंभ करे उससे पहले साधक को यह जानकारी अतिआवश्यक होनी चाहिए ताकि यथाअवसर दोषों  से बचा जा सके और सामायिक की पवित्रता यथावत बनी रहे !सामायिक को दूषित करने वाले मन ,वचन ,काय संबंधी स्थूल रूप से बत्तीस दोष निम्न हैं –

मन के दस दोष:
1.अविवेक ,2.यशकीर्ति ,3.लाभार्थ ,4.गर्व ,5.भय ,6.निदान,7.संशय  ,  8. रोष  ,9. अविनय ,10. बहुमान

वचन के दस दोष :
1.कुवचन ,2.सहसाकार (बिना विचारे अनायाश ही गलत बोलना ), 3.स्वक्षंद (सामायिक  में अभद्र बाते करना ),4.संक्षेप (सामायिक के पाठ संक्षेप करना ), 5.कलह ,6.विकथा ,7.हास्य ,8.अशुद्ध ,9.निरपेक्ष (सिद्धांत की उपेक्षा करके बोलना ),10.मुन्मन (स्पष्ट उच्चारण  न करना ) !

काया के बारह दोष :

1.कुआसन , 2.चलासन ,3.चल द्रष्टि ,4.सावद्यक्रिया ,5.आलम्बन ,6.आकुंचन प्रसारण (हाथ पैर को फैलाना ,7.आलस्य ,8.मोडम ,9.मल ,10.विमासन (शोकग्रस्त आसन ),11.निद्रा ,12.वैयावृत्य !

सामायिक की साधना करने वाले को इन बत्तीस दोषों से पूर्णतया सावधान रहना चाहिए !