Samaik

जैन पूजा की सर्वोत्तम पद्धति का नाम है सामायिक। सामायिक का अर्थ है –ऐसी साधना जिससे समता व् शांति प्राप्त हो तथा जिसमे इष्ट स्मरण ,आत्मचिंतन व् आत्मसंशोधन किया जाए।
सुख में, दुःख में, वन में भवन में निंदा में प्रशंसा में यानि प्रत्येक स्थिति में अपने मन क़े  संतुलन को बनाये रखना। शांति समाधि कायम रखना,आत्मा में रमण करना सामायिक है। न काहू से दोस्ती न काहू से वैर ‘ का नाम सामायिक है। अर्थात अप्रिय व्यक्ति या वस्तु के संयोग तथा प्रिय व्यक्ति या वस्तु के वियोग में सुखी या दुखी न होना, राग य द्वेष न करना, ज्ञाता व् द्रष्टा भाव रखना, समता रखना सामायिक है। आत्मशुद्धि   करना सामायिक  है।
सामायिक  ही हमारी पूजा है,  संध्या, यज्ञ, हवन ,नमाज़ व् आरती है। जो सामायिक  नही करता वो जैन नही होता।
सामायिक  में अठारह पापों अर्थात हिंसा, झूट, चोरी,क्रोध,लोभ,राग,द्वेष,निंदा,चुगली, आदि  का पूर्ण त्याग होता है।