इस योजना के माध्यम से वैय्यावच्च के अंतर्गत देशभर में विचरणरथ अथवा विराजित साधु-साध्वीवृंद की सेवा, आहार-विहार, गोचरी तथा शिक्षा आदि का कार्य किया जाता है। जैन कॉन्फ्रेंस द्वारा संचालित यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। आप भी इसके साथ जुड़कर धर्म लाभ अर्जित कर सकते है।
जैन कॉन्फ्रेंस द्वारा वैय्यावच्च योजना के तहत यह घोषणा की गई है कि जिन-जिन क्षेत्रों में 50 के लगभग जैन परिवार निवास करते है और वहाँ पर यदि पूजनीय साधु-साध्वी जी म. सा. का चातुर्मास होता है तथा वहाँ का संघ चातुर्मास में रुपये 10 लाख से कम का खर्च करता है तो पूजनीय साधु-साध्वी जी म. सा. के साथ सेवारथ सेवक के 8 महीने का वेतन जैन कॉन्फ्रेंस वहन करेगी।
इसके अलावा यदि कोई संघ चातुर्मास के दौरान रुपये 10 से अधिक का खर्च करता है तो वह संघ पूजनीय साधु-साध्वी जी म. सा. के साथ सेवारत सेवक का इस चातुर्मास से अगले चातुर्मास तक का खर्च वहन करेगा। ऐसी आप श्रीसंघों से करबद्ध प्रार्थना है।
ऐसा करने से एक तरफ जहाँ सेवारथ सेवक की तनख्वाह को लेकर चली आ रही समस्या का समाधान हो सकेगा, वहीं इसका अतिरिक्त बोझ भी न तो जैन कॉन्फ्रेंस पर आएगा और न ही स्थानीय श्रीसंघ को परेशानी आएगी।
यह बहुत सुंदर और प्रबुद्धजनों के साथ गहन विचार-विमर्श कर लिया गया निर्णय है। आप सभी से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया को अपनाकर वैय्यावच्च में अपना महत्वूर्ण और अमूल्य योगदान देकर पूजनीय संत-सतियों जी के प्रति अपनी श्रद्धा भक्ति प्रस्तुत कर धर्म लाभ अर्जित करें।
यह योजना स्थायी रूप से चलती रहें, उसके लिए एक स्थायी फण्ड बनाने का कार्य गतिमान है। इसमें रुपये 11 लाख देने वाले दानदाता को जैन कॉन्फ्रेंस वैय्यावच्च शिरोमणि तथा रुपये 5 लाख देने वाले दानदाता को जैन कॉन्फ्रेंस गौरव पद से अलंकृत किया जाएगा। जैन भवन, नई दिल्ली में स्थित स्थानक भवन के बाहर 15 वर्ष तक स्थायी नाम पट्ट लगाया जाएगा। आपसे सानुरोध प्रार्थना है कि इस पुण्य कार्य में अपना सहयोग देकर इस महत्वपूर्ण योजना को सफल बनाएं।